संदेश

तीसरी कसम लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

ईश्वर की मूर्ति

ईश्‍वर की मूर्ति प्रतापनारायण मिश्र वास्‍तव में ईश्‍वर की मूर्ति प्रेम है, पर वह अनिर्वचनीय, मूकास्‍वादनवत्, परमानंदमय होने के कारण लिखने वा कहने में नहीं आ सकता, केवल अनुभव का विषय है। अत: उसके वर्णन का अधिकार हमको क्या किसी को भी नहीं है। कह सकते हैं तो इतना ही कह सकते हैं कि हृदय मंदिर को शुद्ध करके उसकी स्‍थापना के योग्‍य बनाइए और प्रेम दृष्टि से दर्शन कीजिए तो आप ही विदित हो जाएगा कि वह कैसी सुंदर और मनोहर मूर्ति है। पर यत: यह कार्य सहज एवं शीघ्र प्राप्‍य नहीं है। इससे हमारे पूर्व पुरुषों ने ध्‍यान धारण इत्‍यादि साधन नियत कर रक्‍खे हैं जिनका अभ्‍यास करते रहने से उसके दर्शन में सहारा मिलता है। किंतु है यह भी बड़े ही भारी मस्तिष्‍कमानों का साध्‍य। साधारण लोगों से इसका होना भी कठिन है। विशेषत: जिन मतवादियों का मन भगवान् के स्‍मरण में अभ्‍यस्‍त नहीं है, वे जब आँखें मूँद के बैठते हैं तब अंधकार के अतिरिक्‍त कुछ नहीं देख सकते और उस समय यदि घर गृहस्‍थी आदि का ध्‍यान न भी करैं तौ भी अपनी श्रेष्‍ठता और अन्‍य प्रथावलंबियों की तुच्‍छता का विचार करते होंगे अथवा अपनी रक्षा वा मनोरथ सिद्धि इत्‍य...

तीसरी कसम, उर्फ एक मारे गए गुलफ़ाम (कहानी)

कहानी- मारे गये ग़ुलफाम, उर्फ तीसरी कसम  लेखक- फणीश्वरनाथ रेणु  मुख्य पात्र- हिरामन( ग्रामीण गाड़ीवान), हिराबाई(नौटंकी कंपनी में काम करनेवाली)  गौण पात्र- धुन्नीराम, लालमोहर, पलटदास, लसनवाँ कहानी का विषय- नायक का तीन कसमें लेना, नौटंकी कंपनी में काम करनेवाली, स्त्री का दर्दभरा जीवन, अव्यक्त और अस्वीकृत प्रेम की कथा। हिरामन ४० साल का सीधा-सादा गाड़ीवान है जो  भैया- भाभी के साथ रहता है। इस कहानी में हीरामन तीन कसमें खाता है पहली कसम चोरी का या चोरी बाजार का माल अपनी गाड़ी में नहीं रखेगा, दूसरी कसम बास की लद्दी न लादने की, तीसरी कसम कंपनी की औरत को न बिठाने की।  इस कहानी पर फिल्मातंरण भी हुआ है १९६६ में। फिल्म के निर्माणकर्ता शैलेंद्र थे और निर्देशन बासु भट्टाचार्य ने किया था।  फिल्म की मुख्य भूमिका अदा राजकपूर और वहिदा रहमान ने की। कहानी का आरंभ   हिरामन गाड़ीवान की पीठ में गुदगुदी लगती है... पिछले बीस साल से गाड़ी हाँकता है हिरामन। बैलगाड़ी। सीमा के उस पार, मोरंग राज नेपाल से धान और लकड़ी ढो चुका है। कंट्रोल के जमाने में चोरबाजारी का माल इस पार से उस पार...

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

शिवशंभू के चिट्ठे (निबंध), बालमुकुंद गुप्त

ईदगाह (प्रेमचंद)

मेरे राम का मुकुट भीग रहा है

निराशावादी (कविता)

हिंदी रचना पर आधारित फिल्में