संदेश

हिंदी साहित्य और लेकनकला ? लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

ईश्वर की मूर्ति

ईश्‍वर की मूर्ति प्रतापनारायण मिश्र वास्‍तव में ईश्‍वर की मूर्ति प्रेम है, पर वह अनिर्वचनीय, मूकास्‍वादनवत्, परमानंदमय होने के कारण लिखने वा कहने में नहीं आ सकता, केवल अनुभव का विषय है। अत: उसके वर्णन का अधिकार हमको क्या किसी को भी नहीं है। कह सकते हैं तो इतना ही कह सकते हैं कि हृदय मंदिर को शुद्ध करके उसकी स्‍थापना के योग्‍य बनाइए और प्रेम दृष्टि से दर्शन कीजिए तो आप ही विदित हो जाएगा कि वह कैसी सुंदर और मनोहर मूर्ति है। पर यत: यह कार्य सहज एवं शीघ्र प्राप्‍य नहीं है। इससे हमारे पूर्व पुरुषों ने ध्‍यान धारण इत्‍यादि साधन नियत कर रक्‍खे हैं जिनका अभ्‍यास करते रहने से उसके दर्शन में सहारा मिलता है। किंतु है यह भी बड़े ही भारी मस्तिष्‍कमानों का साध्‍य। साधारण लोगों से इसका होना भी कठिन है। विशेषत: जिन मतवादियों का मन भगवान् के स्‍मरण में अभ्‍यस्‍त नहीं है, वे जब आँखें मूँद के बैठते हैं तब अंधकार के अतिरिक्‍त कुछ नहीं देख सकते और उस समय यदि घर गृहस्‍थी आदि का ध्‍यान न भी करैं तौ भी अपनी श्रेष्‍ठता और अन्‍य प्रथावलंबियों की तुच्‍छता का विचार करते होंगे अथवा अपनी रक्षा वा मनोरथ सिद्धि इत्‍य...

मुहावरा किसे कहते है? लोकोक्ति किसे कहते है? मुहावरा और लोकोक्ति में क्या अंतर है?

चित्र
नमस्कार साथियों 🙏 आशा  करती हूँ आप सब अच्छे होंगे और अपने जीवन को और अच्छा बनाने के लिए निरंतर प्रयत्न कर रहे होंगे। अब पढाई  की बात करते है आज हम मुहावरे और लोकोक्ति के बारे में पढ़ेंगे।   * मुहावरा किसे कहते है?  * लोकोक्ति किसू कहते है? * मुहावरा और लोकोक्ति में क्या अंतर है?   मुहावरा किसे कहते हैं? सोदाहरण स्पष्ट कीजिए। जब कोई वाक्यांश अपने शाब्दिक या सामान्य अर्थ का बोध ना कराकर किसी विशेष अर्थ का बोध कराता है, जब उसे मुहावरा कहते हैं। इसके प्रभाव से भाषा में सजीवता, सुंदरता तथा स्पष्टता आ जाती है और भाषा का अर्थ प्रभाव भी बढ़ जाता है जैसे- पुलिस को आता देख उपद्रवी नौ दो ग्यारह हो गए। यहां 'नौ दो ग्यारह होने' का अर्थ भाग जाना है  लोकोक्ति किसे कहते हैं? सोदाहरण स्पष्ट कीजिए। सामाजिक जीवन में अनुभव के आधार पर प्रचलित उक्ति को लोकोक्ति कहा जाता है लोकोक्तियां प्राय: पूर्ण वाक्य में होती है। जैसे-  अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता  यहां पूरी लोकोक्ति का अर्थ है कि अकेला व्यक्ति किसी बड़े कार्य को करने में समर्थ नहीं होता है। ...

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

शिवशंभू के चिट्ठे (निबंध), बालमुकुंद गुप्त

ईदगाह (प्रेमचंद)

मेरे राम का मुकुट भीग रहा है

निराशावादी (कविता)

हिंदी रचना पर आधारित फिल्में