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ईश्वर की मूर्ति

ईश्‍वर की मूर्ति प्रतापनारायण मिश्र वास्‍तव में ईश्‍वर की मूर्ति प्रेम है, पर वह अनिर्वचनीय, मूकास्‍वादनवत्, परमानंदमय होने के कारण लिखने वा कहने में नहीं आ सकता, केवल अनुभव का विषय है। अत: उसके वर्णन का अधिकार हमको क्या किसी को भी नहीं है। कह सकते हैं तो इतना ही कह सकते हैं कि हृदय मंदिर को शुद्ध करके उसकी स्‍थापना के योग्‍य बनाइए और प्रेम दृष्टि से दर्शन कीजिए तो आप ही विदित हो जाएगा कि वह कैसी सुंदर और मनोहर मूर्ति है। पर यत: यह कार्य सहज एवं शीघ्र प्राप्‍य नहीं है। इससे हमारे पूर्व पुरुषों ने ध्‍यान धारण इत्‍यादि साधन नियत कर रक्‍खे हैं जिनका अभ्‍यास करते रहने से उसके दर्शन में सहारा मिलता है। किंतु है यह भी बड़े ही भारी मस्तिष्‍कमानों का साध्‍य। साधारण लोगों से इसका होना भी कठिन है। विशेषत: जिन मतवादियों का मन भगवान् के स्‍मरण में अभ्‍यस्‍त नहीं है, वे जब आँखें मूँद के बैठते हैं तब अंधकार के अतिरिक्‍त कुछ नहीं देख सकते और उस समय यदि घर गृहस्‍थी आदि का ध्‍यान न भी करैं तौ भी अपनी श्रेष्‍ठता और अन्‍य प्रथावलंबियों की तुच्‍छता का विचार करते होंगे अथवा अपनी रक्षा वा मनोरथ सिद्धि इत्‍य...

हिंदी भाषा का महत्व

विश्व में अंग्रेज़ी और चीनी  के बाद हिंदी दुनिया की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। हिंदी  भारत की आधिकारिक भाषा और राजभाषा है। हिंदी नेपाल, मॉरीशस और फिजी जैसे अन्य देशों में व्यापक रूप से बोली जाती है। हिंदी श्रेष्ठ भाषा तथा वैज्ञानिक भाषा है जैसी बोली जाती है वैसी ही लिखी जाती है। सीखने वालों के लिए भी सहज और सरल भाषा है इसलिए हिंदी की लोकप्रियता दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। हिंदी भाषा का साहित्य और व्याकरण समृद्ध है जिसका विकास मध्यकाल में हुआ था। हिंदी कई बोलियों जैसे भोजपुरी, अवधी, हरियाणवी और राजस्थानी की भी मातृभाषा है। हिन्दी का व्याकरण हिन्दी भाषा का आधार है, जिसके कारण हिन्दी व्याकरण का व्यवस्थित और व्यापक अध्ययन आवश्यक हो जाता है। हिंदी  व्याकरण में, वाक्य के मूल तत्वों को पाद कहा जाता है। एक पाद एक संज्ञा या क्रिया हो सकता है, या शब्दों का एक समूह वाक्य में एक इकाई के रूप में कार्य कर सकता है। पद हिंदी व्याकरण की सबसे छोटी इकाई है जिसे छोटी इकाइयों में विभाजित नहीं किया जा सकता है। हिन्दी व्याकरण वाणी के आठ भागों को भी पहचानता है, अर्थात्, संज्ञा (संज्...

योजक, योजक की परिभाषा, योजक के भेद

आपका स्वागत है हिंदी साहित्य और लेखनकला में  आज हम योजक की परिभाषा, भेद और उदाहरण को पढ़ेंगे  १) योजक किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित समझाइए। उत्तर - जो शब्द दो या दो से अधिक शब्दों, वाक्यांशों या वाक्यों को जोड़ने या मिलाने का कार्य करते हैं, उन्हें योजक कहते हैं। इन शब्दों को समुच्चय बोधक भी कहा जाता है। जैसे-  रीना और टीना साथ साथ खेलेंगी।    इस वाक्य में 'और' शब्द योजक है। २) योजक शब्द के कितने भेद हैं? उत्तर - योजक शब्दों के मुख्यत: तीन भेद हैं -  * संयोजक      *विभाजक    *विकल्पसूचक। ३) संयोजक योजक शब्द की परिभाषा उदाहरण सहित  दीजिए। उत्तर - जो योजक शब्द वाक्यांशों, शब्दों या वाक्यों को मिलाने या समानता बताने का काम करते हैं, संयोजक योजक शब्द कहलाते हैं। जैसे- और, तथा, एवं,व  आदि। उदाहरण- मोहन और सोहन भाई हैं। ४) विभाजक और विकल्पसूचक योजक शब्दों की परिभाषा उदाहरण सहित दीजिए। जो योजक शब्द भेद प्रकट करते हुए भी शब्दों, वाक्यांशों या वाक्यों को मिलाएं उन्हें विभाजक कहते हैं  जैसे- परंतु, किंतु, मगर,  ताकि, इसलिए, ...

व्याकरण

💐हिन्दी भाषा व्याकरण💐 हिन्दी शब्द–कोश में शब्दों का क्रम – हिन्दी शब्द–कोश में शब्दों का क्रम विभिन्न वर्णोँ के निम्न क्रम के अनुसार है– अं, अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, क, क्ष, ख, ग, घ, च, छ, ज, ज्ञ, झ, ट, ठ, ड, ढ, त, त्र, थ, द, ध, न, प, फ, ब, भ, म, य, र, ल, व, श, ष, स, ह । इस प्रकार शब्द–कोश में सर्वप्रथम ‘अं’ या ‘अँ’ से प्रारंभ होने वाले शब्द होते हैं और अन्त में ‘ह’ से प्रारंभ होने वाले शब्द। प्रत्येक शब्द से प्रारंभ होने वाले शब्द भी हजारों की संख्या में होते हैं, अतः शब्द–कोश में उनका क्रम–विन्यास विभिन्न स्वरों की मात्राओँ के अग्र क्रम में होता है– ं ँ ा ि ी ु ू ृ े ै ो ौ । • उदाहरण – 1. आधा वर्ण उस वर्ण की ‘औ’ की मात्रा के बाद आता है। जैसे– कटौती के बाद कट्टर, करौ के बाद कर्क, कसौ के बाद कस्त, कौस्तु के बाद क्य, क्योँ के बाद क्रं... क्र... क्ल... क्व आदि। 2. ‘ृ ’ की मात्रा ‘ऊ’ की मात्रा वाले वर्ण के बाद आती है। जैसे– कूक, कूल के बाद कृत। 3. ‘क्ष’ वर्ण आधे ‘क्’ के बाद आता है। जैसे– क्विँटल के बाद क्षण। 4. ‘ज्ञ’ अक्षर ‘जौ’ के अंतिम शब्द के बाद आता है। जैसे– जौहरी के बाद ज्ञ...

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