ईश्वर की मूर्ति

ईश्‍वर की मूर्ति प्रतापनारायण मिश्र वास्‍तव में ईश्‍वर की मूर्ति प्रेम है, पर वह अनिर्वचनीय, मूकास्‍वादनवत्, परमानंदमय होने के कारण लिखने वा कहने में नहीं आ सकता, केवल अनुभव का विषय है। अत: उसके वर्णन का अधिकार हमको क्या किसी को भी नहीं है। कह सकते हैं तो इतना ही कह सकते हैं कि हृदय मंदिर को शुद्ध करके उसकी स्‍थापना के योग्‍य बनाइए और प्रेम दृष्टि से दर्शन कीजिए तो आप ही विदित हो जाएगा कि वह कैसी सुंदर और मनोहर मूर्ति है। पर यत: यह कार्य सहज एवं शीघ्र प्राप्‍य नहीं है। इससे हमारे पूर्व पुरुषों ने ध्‍यान धारण इत्‍यादि साधन नियत कर रक्‍खे हैं जिनका अभ्‍यास करते रहने से उसके दर्शन में सहारा मिलता है। किंतु है यह भी बड़े ही भारी मस्तिष्‍कमानों का साध्‍य। साधारण लोगों से इसका होना भी कठिन है। विशेषत: जिन मतवादियों का मन भगवान् के स्‍मरण में अभ्‍यस्‍त नहीं है, वे जब आँखें मूँद के बैठते हैं तब अंधकार के अतिरिक्‍त कुछ नहीं देख सकते और उस समय यदि घर गृहस्‍थी आदि का ध्‍यान न भी करैं तौ भी अपनी श्रेष्‍ठता और अन्‍य प्रथावलंबियों की तुच्‍छता का विचार करते होंगे अथवा अपनी रक्षा वा मनोरथ सिद्धि इत्‍य...

योजक, योजक की परिभाषा, योजक के भेद

आपका स्वागत है हिंदी साहित्य और लेखनकला में 
आज हम योजक की परिभाषा, भेद और उदाहरण को पढ़ेंगे 


१) योजक किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित समझाइए।

उत्तर - जो शब्द दो या दो से अधिक शब्दों, वाक्यांशों या वाक्यों को जोड़ने या मिलाने का कार्य करते हैं, उन्हें योजक कहते हैं। इन शब्दों को समुच्चय बोधक भी कहा जाता है।

जैसे-  रीना और टीना साथ साथ खेलेंगी।
 
 इस वाक्य में 'और' शब्द योजक है।

२) योजक शब्द के कितने भेद हैं?

उत्तर - योजक शब्दों के मुख्यत: तीन भेद हैं -

 * संयोजक      *विभाजक    *विकल्पसूचक।

३) संयोजक योजक शब्द की परिभाषा उदाहरण सहित  दीजिए।

उत्तर - जो योजक शब्द वाक्यांशों, शब्दों या वाक्यों को मिलाने या समानता बताने का काम करते हैं, संयोजक योजक शब्द कहलाते हैं। जैसे- और, तथा, एवं,व  आदि।

उदाहरण- मोहन और सोहन भाई हैं।

४) विभाजक और विकल्पसूचक योजक शब्दों की परिभाषा उदाहरण सहित दीजिए।

जो योजक शब्द भेद प्रकट करते हुए भी शब्दों, वाक्यांशों या वाक्यों को मिलाएं उन्हें विभाजक कहते हैं 
जैसे- परंतु, किंतु, मगर,  ताकि, इसलिए, क्योंकि, लेकिन आदि।

उदाहरण- वह निर्धन है परंतु अत्यंत ईमानदार है।
जो योजक शब्द विकल्प का बोध कराते हैं, वे विकल्प सूचक कहलाते हैं। जैसे- या, अथवा,  अन्यथा आदि।

उदाहरण- तुम आओगे या मैं आऊँ।



योजक         वाक्य प्रयोग 

तथा            हम भारतवासियों को अपनी संस्कृति तथा   
                  सभ्यता पर गर्व है। 

और           सुमन और कुसुम साथ साथ आएंगे 

एवं             केशव तथा श्यामा चिड़ियों एवं अंडों की                  हिफाजत करना चाहते हैं 

व               चिड़िया को नदी व  विजन से बहुत प्यार है 

तो              परिश्रम करोगे तो जरूर पास हो जाओगे

परंतु            वह धनी है परंतु अत्यंत क्रूर है 

मगर            पापा ने छोटू को उधर जाने से मना किया   मगर वह ना माना। 

कि                पुराने जमाने के लोग सोचते थे कि अक्षरों की खोज ईश्वर ने की है 

बल्कि             अक्षरों की खोज ईश्वर ने नहीं बल्कि आदमी ने की है 

इसलिए           दूसरे ग्रह के लोग हमारे बारे में जान जाएँगे, इसलिए इस यान को हमें देखते रहना होगा।

 पर                 नागराजन अपनी अलबम सभी को दिखाता पर हाथ ना लगाने देता।

किंतु                 मैंने उसे कई आवाजें दी, किंतु उसने मुड़कर ना देखा।

 क्योंकि              मैं विद्यालय आने में असमर्थ हूँ, क्योंकि घर पर जरूरी काम है।

 ताकि                 नेहरू जी इंदिरा जी को पत्र लिखा करते थे ताकि वह दुनिया के विषय में जान सकें।

 अथवा               तुम पढ़ो अथवा खेलने चले जाओ, पर शोन मत करो।

 या                     उसने मुझसे पूछा, "तुम चाय लोगे या कॉफी।"

अन्यथा              कुछ मेहनत कर लो, अन्यथा कुछ भी हाथ नहीं लगेगा। 

लेकिन               हिंदुस्तान एक बड़ा देश है, लेकिन इंग्लैंड एक छोटा-सा टापू है।

 जबकि               वह परीक्षा में फेल हो गया जब कि उसने बहुत मेहनत की थी 

चूँकि                  वह आज खेलने नहीं आएगा चूँकि उसके घर में कोई नहीं है।

हालाँकि              मैं तुम्हारी बात नहीं मानूँगा हालाँकि तुम ठीक कह रहे हो।


धन्यवाद 🙏

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