ईश्वर की मूर्ति

ईश्‍वर की मूर्ति प्रतापनारायण मिश्र वास्‍तव में ईश्‍वर की मूर्ति प्रेम है, पर वह अनिर्वचनीय, मूकास्‍वादनवत्, परमानंदमय होने के कारण लिखने वा कहने में नहीं आ सकता, केवल अनुभव का विषय है। अत: उसके वर्णन का अधिकार हमको क्या किसी को भी नहीं है। कह सकते हैं तो इतना ही कह सकते हैं कि हृदय मंदिर को शुद्ध करके उसकी स्‍थापना के योग्‍य बनाइए और प्रेम दृष्टि से दर्शन कीजिए तो आप ही विदित हो जाएगा कि वह कैसी सुंदर और मनोहर मूर्ति है। पर यत: यह कार्य सहज एवं शीघ्र प्राप्‍य नहीं है। इससे हमारे पूर्व पुरुषों ने ध्‍यान धारण इत्‍यादि साधन नियत कर रक्‍खे हैं जिनका अभ्‍यास करते रहने से उसके दर्शन में सहारा मिलता है। किंतु है यह भी बड़े ही भारी मस्तिष्‍कमानों का साध्‍य। साधारण लोगों से इसका होना भी कठिन है। विशेषत: जिन मतवादियों का मन भगवान् के स्‍मरण में अभ्‍यस्‍त नहीं है, वे जब आँखें मूँद के बैठते हैं तब अंधकार के अतिरिक्‍त कुछ नहीं देख सकते और उस समय यदि घर गृहस्‍थी आदि का ध्‍यान न भी करैं तौ भी अपनी श्रेष्‍ठता और अन्‍य प्रथावलंबियों की तुच्‍छता का विचार करते होंगे अथवा अपनी रक्षा वा मनोरथ सिद्धि इत्‍य...

शिक्षक का भविष्य

शिक्षक का भविष्य 


शिक्षक का महत्व 

संसारभर  में एक शिक्षक वह भूमिका अदा करता है, जो कोई नहीं कर सकता है। जन्म से लेकर मृत्यु तक हम औपचारिक और अनौपचारिक तौर से किसी न किसी से कुछ न कुछ सीखते रहते है। यह सीखने की प्रकिया स्वभाविक है हम ज़रूरत के हिसाब से नयी-नयी चीज़े सीखते है और जिससे हम सीखते है वह हमारे शिक्षक होते है। 

शिक्षकों में अपने छात्रों के दिमाग और जीवन को आकार देने की शक्ति होती है और इस जिम्मेदारी को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए क्योंकि एक ज़िम्मेदारीवाला कार्य है प्रत्येक व्यक्ति ये भूमिका नहीं निभा सकता है। शिक्षक छात्रों को प्रेरित कर सकता है, एक विषय के लिए उनके जुनून को प्रज्वलित कर सकता है, और उन्हें करियर और जीवन पथ को पूरा करने की दिशा में मार्गदर्शन कर सकता है। उचित और अनुचित में अंतर करना, सत्य और असत्य में अंतर करना सिखाता है। संसार के ज्ञान के समुद्र में डुबकी लगाने और लाभदायक ज्ञान को निकालने के लिए  प्रेरित करता है। इस प्रकार एक शिक्षक महत्वपूर्ण और अहम भूमिका अदा करता है।

गीली मिट्टी अनगढ़ी, हमको गुरुवर जान,
ज्ञान प्रकाशित कीजिए, आप समर्थ बलवान। 

शिक्षक के कर्तव्य 

एक शिक्षक की दोहरी जिम्मेदारी होती है: उन्हें अपने छात्रों को शिक्षित करना और उनका पालन-पोषण करना होता है। इसे  प्रभावी ढंग से करने के लिए, शिक्षकों को उनके द्वारा पढ़ाए जा रहे विषय के बारे में उचित, सटीक और सम्पूर्ण जानकारी होनी चाहिए, साथ ही उनके पास व्यक्तिगत स्तर पर अपने छात्रों से जुड़ने के लिए आवश्यक विनम्र (साॅफ्ट)  कौशल होना चाहिए क्योंकि केवल विषय का ज्ञान होना काफ़ी नहीं होता है। छात्रों को समझना और उनसे संबंध स्थापित करना भी अति आवश्यक है। तभी छात्र आपसे कुछ जानने के लिए उत्सुक होंगे और सीख  पायेंगे और आप उन्हें सरलता और सहजता से सीखा सकते हो।

शिक्षकों को धैर्यवान, दयालु और सीखने की विभिन्न शैलियों को समझने वाला होना चाहिए।  इसके अतिरिक्त, समय के साथ-साथ बदलना भी आना चाहिए। प्रत्येक छात्र की आवश्यकताओं के अनुरूप अपनी शिक्षण विधियों को अपनाने में सक्षम होना चाहिए।

बहता पानी निरमला, बन्दा गन्दा होय। साधु जन रमता भला, दाग न लागै कोय॥  

भावार्थ :
 बहता हुआ पानी निर्मल (स्वच्छ) होता है और बंधा हुआ अर्थात रुका हुआ पानी गंदा होता है। इसी प्रकार साधु-संतों का ज्ञान-भाव से विचरण करते रहना अच्छा होता है। इस तरह विचरते हुए उन्हें कोई दोष नहीं लग सकता अर्थात मोहादि भी नहीं हो सकता। 

 शिक्षण एक ऐसा पेशा है जिसमें प्रभावी होने के लिए विभिन्न प्रकार के कौशल और गुणों की आवश्यकता होती है। शिक्षकों के पास उत्कृष्ट संचार कौशल, संगठन और रचनात्मकता होनी चाहिए।  उन्हें लचीला भी होना चाहिए और बदलती परिस्थितियों के अनुकूल होने में सक्षम होना चाहिए।  इन सबसे ऊपर, उनके पास सीखने के लिए एक गहरा और सच्चा प्यार होना चाहिए, और उस प्यार को अपने छात्रों के साथ साझा करने की इच्छा होनी चाहिए।

तेज़ी से आज दुनिया बदल रही है हर मिनट कुछ-न-कुछ नया आता रहा है इसलिए  शिक्षण का भविष्य लगातार विकसित हो रहा है, खासकर तेजी से बढ़ती प्रौद्योगिकी के सामने। प्रासंगिक बने रहने के लिए शिक्षकों को नई शिक्षण विधियों और तकनीकों को अपनाना चाहिए। अगर शिक्षक वक्त के साथ नहीं बदलेगा, शिक्षा के क्षेत्र में आने वाले परिवर्तन को स्वीकार नहीं करेगा तो वह अपने और छात्रों को ज्ञान के विकास को रोकर लेगा। छात्रों को वह ज्ञान देगा जो आधुनिक समय में कारगर साबित नहीं होगा इसलिए शिक्षकों को भी आधुनिक नौकरी बाजार के लिए स्वयं और  छात्रों को प्रभावी ढंग से तैयार करने में सक्षम होना चाहिए, जिसके लिए कौशल और ज्ञान की विस्तृत श्रृंखला की आवश्यकता होती है।

एक शिक्षक के रूप में जीवित रहने के लिए, व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास के लिए निरंतर प्रयास करना महत्वपूर्ण है। इसमें व्यावसायिक विकास के अवसरों की तलाश करना, सम्मेलनों में भाग लेना, या अन्य शिक्षकों के साथ सहयोग करना शामिल हो सकता है।  इसके अतिरिक्त, एक स्वस्थ और पूर्ण जीवन शैली को बनाए रखने के लिए कार्य-जीवन संतुलन खोजना और शिक्षण के बाहर शौक और रुचियों को विकसित करना महत्वपूर्ण है।

सारांशतः, दुनिया में एक शिक्षक की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है इसे हम नज़रांदाज़ नहीं कर सकते है क्योंकि शिक्षक में व्यक्तियों, समुदायों, समाज, देश, दुनियाभर को बदलने की शक्ति होती है, और उनका प्रभाव आने वाली पीढ़ियों के लिए महसूस किया जाता है।  

यह एक मांग वाला पेशा है, लेकिन जो जुनून और समर्पण के साथ इसे आगे बढ़ाते हैं, उनके लिए अंततः पुरस्कृत और पूरा करने वाला पेशा है।

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