ईश्वर की मूर्ति

ईश्‍वर की मूर्ति प्रतापनारायण मिश्र वास्‍तव में ईश्‍वर की मूर्ति प्रेम है, पर वह अनिर्वचनीय, मूकास्‍वादनवत्, परमानंदमय होने के कारण लिखने वा कहने में नहीं आ सकता, केवल अनुभव का विषय है। अत: उसके वर्णन का अधिकार हमको क्या किसी को भी नहीं है। कह सकते हैं तो इतना ही कह सकते हैं कि हृदय मंदिर को शुद्ध करके उसकी स्‍थापना के योग्‍य बनाइए और प्रेम दृष्टि से दर्शन कीजिए तो आप ही विदित हो जाएगा कि वह कैसी सुंदर और मनोहर मूर्ति है। पर यत: यह कार्य सहज एवं शीघ्र प्राप्‍य नहीं है। इससे हमारे पूर्व पुरुषों ने ध्‍यान धारण इत्‍यादि साधन नियत कर रक्‍खे हैं जिनका अभ्‍यास करते रहने से उसके दर्शन में सहारा मिलता है। किंतु है यह भी बड़े ही भारी मस्तिष्‍कमानों का साध्‍य। साधारण लोगों से इसका होना भी कठिन है। विशेषत: जिन मतवादियों का मन भगवान् के स्‍मरण में अभ्‍यस्‍त नहीं है, वे जब आँखें मूँद के बैठते हैं तब अंधकार के अतिरिक्‍त कुछ नहीं देख सकते और उस समय यदि घर गृहस्‍थी आदि का ध्‍यान न भी करैं तौ भी अपनी श्रेष्‍ठता और अन्‍य प्रथावलंबियों की तुच्‍छता का विचार करते होंगे अथवा अपनी रक्षा वा मनोरथ सिद्धि इत्‍य...

पत्र साहित्य

पत्र-साहित्य 
पत्र लेखन की परंपरा अत्यंत प्राचीन है। आधुनिक युग में पाश्चात्य प्रभाव के कारण 'पत्र - साहित्य' एक नवीन विधा के रूप में प्रचलित है।

पत्र - लेखन एक आत्मीय वार्तालाप है, जो दूरस्थ दो या अनेक व्यक्तियों को समान संवेदनात्मक धरातल पर ला देता है।

मध्ययुग में पत्र अलंकृत शैली में विद्वता प्रकट करने की परंपरा थी

आधुनिक युग में पत्र बातचीत की शैली में लिखा जाता है और उसके सहज व आत्मीयतापूर्ण होने पर बल दिया जाता है।

हिंदी में साहित्यकारों या अन्य महान विभूतियों के पत्रों को प्रकाशित करने की परंपरा है, जैसे - 'द्विवेदी पत्रावली' (बैजनाथ सिंह 'विनोद') 'पद्म सिंह शर्मा के पत्र' (बनारसीदास चतुर्वेदी और हरिशंकर शर्मा), 'साहित्यिकों के पत्र' (किशोरीदास बाजपेयी), भिक्षु के पत्र (भदंत आनंद कौसल्यायन), 'अनमोल पत्र' (सत्यभक्त स्वामी), 'यूरोप के पत्र' (डॉक्टर धीरेंद्र वर्मा) , 'निराला के पत्र '  (जानकी बल्लभ शास्त्री) इत्यादि।

'मित्र संवाद' डॉ रामविलास शर्मा और उनके मित्र केदारनाथ अग्रवाल के मध्य हुए पत्र-व्यवहार का संग्रह है।

'प्रतिनाद' कथाकार नरेंद्र कोहली को वरिष्ठ साहित्यकारों, संपादकों और पाठकों द्वारा लिखे गए पत्रों का संग्रह है।

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