ईश्वर की मूर्ति

ईश्‍वर की मूर्ति प्रतापनारायण मिश्र वास्‍तव में ईश्‍वर की मूर्ति प्रेम है, पर वह अनिर्वचनीय, मूकास्‍वादनवत्, परमानंदमय होने के कारण लिखने वा कहने में नहीं आ सकता, केवल अनुभव का विषय है। अत: उसके वर्णन का अधिकार हमको क्या किसी को भी नहीं है। कह सकते हैं तो इतना ही कह सकते हैं कि हृदय मंदिर को शुद्ध करके उसकी स्‍थापना के योग्‍य बनाइए और प्रेम दृष्टि से दर्शन कीजिए तो आप ही विदित हो जाएगा कि वह कैसी सुंदर और मनोहर मूर्ति है। पर यत: यह कार्य सहज एवं शीघ्र प्राप्‍य नहीं है। इससे हमारे पूर्व पुरुषों ने ध्‍यान धारण इत्‍यादि साधन नियत कर रक्‍खे हैं जिनका अभ्‍यास करते रहने से उसके दर्शन में सहारा मिलता है। किंतु है यह भी बड़े ही भारी मस्तिष्‍कमानों का साध्‍य। साधारण लोगों से इसका होना भी कठिन है। विशेषत: जिन मतवादियों का मन भगवान् के स्‍मरण में अभ्‍यस्‍त नहीं है, वे जब आँखें मूँद के बैठते हैं तब अंधकार के अतिरिक्‍त कुछ नहीं देख सकते और उस समय यदि घर गृहस्‍थी आदि का ध्‍यान न भी करैं तौ भी अपनी श्रेष्‍ठता और अन्‍य प्रथावलंबियों की तुच्‍छता का विचार करते होंगे अथवा अपनी रक्षा वा मनोरथ सिद्धि इत्‍य...

हिन्दी साहित्य के महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

 हिन्दी साहित्य के महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर 

1 काव्य के तत्व माने गए है - 
दो

2 महाकाव्य के उदाहरण है - 
रामचरित मानस, रामायण, साकेत, महाभारत, पदमावत, कामायनी, उर्वशी, लोकायतन, एकलव्य आदि

3 मुक्तक काव्य के उदाहरण है- 
मीरा के पद, रमैनियां, सप्तशति

4 काव्य कहते है - 
दोष रहित, सगुण एवं रमणियार्थ प्रतिपादक युगल रचना को

5 काव्य के तत्व है - 
भाषा तत्व, बुध्दि या विचार तत्व, कल्पना तत्व और शैली तत्व

6 काव्य के भेद है - 
प्रबंध (महाकाव्य और खण्ड काव्य), मुक्तक काव्य

7 वामन ने काव्य प्रयोजन माना -
दृष्ट प्रयोजन (प्रीति आनंद की प्राप्ति) अदृष्ट प्राप्ति (कीर्ति प्राप्ति)

8 भामह की काव्य परिभाषा है - 
शब्दार्थो सहित काव्यम

9 प्रबंध काव्य का शाब्दिक अर्थ है - 
प्रकृष्ठ या विशिष्ट रूप से बंधा हुआ।

10 रसात्मक वाक्यम काव्यम परिभाषा है - 
पंडित जगन्नाथ का

11 काव्य के कला पक्ष में निहित होती है - 
भाषा

12 काव्य में आत्मा की तरह माना गया है- 
रस

13 तद्दोषों शब्दार्थो सगुणावनलंकृति पुन: क्वापि, परिभाषा है -
मम्मट की

14 काव्य के तत्व विभक्त किए गए है- 
चार वर्गो में प्रमुखतया रस, शब्द

15 कवि दण्डी ने काव्य के भेद माने है- 
तीन

16 रमणियार्थ प्रतिपादक शब्द काव्यम की परिभाषा दी है - आचार्य जगन्नाथ ने

17 काव्य रूपों में दृश्य काव्य है - 
नाटक

18 काव्य प्रयोजन की दृष्टि से मत सर्वमान्य है - 
मम्मटाचार्य का

19 काव्य प्रयोजनों में प्रमुख माना जाता है।
आनंदानुभूति का

20 काव्य रचना का प्रमुख कारण (हेतु) है - 
प्रतिभा का

धन्यवाद 🙏

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